डॉ. भानु प्रताप सिंह
जैसौ कि तुम पैले तेई जान्तओ कि चाचा अनामिका बनि कैं चाचा अनार सिंह की फेसबुक में घुस गई है। चाचा की फ्रेंडलिस्ट में 290 छोरिन कूं देखिकैं चाची का माथौ घूमि गौ। चाची न जाने का-का सोचिबे लगि गई। चाची द्वै दिनन बाद मेरे ढिंगा आई और बोली- लल्ला का कररएओ?
मैंने कई- कररौ तो कछू नांय, पर तुम जे बताओ कि द्वै दिनन बाद आई हो। पैलैं तो रोज आय रईं। चाचा से झगड़ौ है गयो का।
मेरी बात सुनिकैं चाची बोली- ऐसी कोऊ बात नांय लल्ला। हां, तुमाए चाचा की फेसबुक में द्वै सौ नब्बे छोरिन कूं देखि कैं मेरा दिमाग खराब है गौए। मैं समझि नांय पाय रई कि या कौ का इलाज करूं। छोरिन के पीछें पागल है गएं तुमाए चाचा।
मैंने बोलौ- अरी चाची, या मैं दिमाग खराब करिबै की कौन सी बात है। फेसबुक में तो सब चल्तुए। छोरिन से बात करिकैं नैंक दिमाग फिरेश हो जातुए।
चाची- बात दिमाग फिरेश करिबे की नांय। जब ते तुमाए चाचा ने फेसबुक आईडी बनाई है, तब से रात में देर तक जागें। मोय लगि रई है जे छोरिन ते ई बात कत्त रैतएं। छोरिन कूं तो ‘स्वीट हार्ट’ कैबैं और मोपे झल्लातएं। वैसें, फेसबुक पै लाइन मार रए हैं। हे भगवान, तुमाई जे कैसी लीला है।
मैंने आग में घी डारौ और बोलो- चाची, ये लीला भगवान की नांय, चाचा की है। चाचा तो पूरै लीलाधर हैं। तुम देखौ न, छोरी 290 और चाचा अकेले। चाचा तो रासलीला कररए हैं। मोय तो ‘दार में कारौ’ लगि रौ है।
चाची: हां, लल्ला। तुम सई कै रए हौ। फेसबुक पै ई रासलीला है जाय रई है तो मेरे ढिंगा आय कैं का करिंगे। मोय तो आजकल ठीक चौं नांय देखि नांय रए, जे बात अब मेरी समझ में आय रई है।
मैंने लोहा गरमु देखि कैं चोट मारी: अच्छा, चाची दे बताओ कि चाचा ने तुमन्नैं साड़ी कब तें लाय के नांय दई?
चाची: लल्ला,सात-आठ महीना है गए। पै लें तो हर महीना कछू न कछू लात रैत ए। अब तो घर मेंं खाली हाथ आबतें।
मैंने चाची के कान में कूं करी: चाची, जे पैसा कां जाइरौए। जरूर फेसबुक की छोरिन पर खच्चु है रौए। चाचा छोरिन कूं पारटी देत हुंगे। याई मारें तुमन्नै कछू नांय लाय रए।
चाची: पर लल्ला, फेसबुक पै छोरिन को पतौ तो लिक्खौ नांय, फिर होटल में पारटी कैसैं है जाइगी।
मैंने कई: चाची, तुम बड़ी भोली हो। फेसबुक पै चैटिंग-फैटिंग कत्त-कत्त एक दूसरे कौ मोबाइल नम्बर लै लेत एं। फिर काऐ, कऊएं मिल लेउ।
चाची: या मैं गल्ती तो तुमाए चाचा की है। अपनौ मोबाइल नम्बर छोरिन कूं चौं दै रए हैं। या कौ मतलब जे भयो कि तुमाए चाचा के मन में जरूर कछू खोट है। अपनी लुगाई कूं छोड़ि कैं काऊ और कूं पारटी दैनो कोई अच्छी बात नांय। अब मोइयै कछू कन्नौ परैगौ।
चाची की बात सुनिकैं मैं मन ई मन भौत खुस भयौ कि चाचा कूं अब मालूम परैगी।
No comments:
Post a Comment