19.8.11

प्रिय मित्र ! हिन्दी के लिए एक अनुरोध



प्रिय मित्र !
हिन्दी के लिए एक अनुरोध >>>>

Android 3.2 (टैबलेट वाले हनीकॉम्ब का नवीनतम संस्करण) जारी हो गया है पर हिन्दी समर्थन नहीं। तीन साल हो गये ऍण्ड्रॉइड में हिन्दी का इन्तजार करते, इस इन्तजार में बूढ़े न हो जायें। आम हिन्दी उपयोक्ता ऍण्ड्रॉइड वाले फोन तथा टैबलेट खरीदना चाहता है पर हिन्दी समर्थन न होने से मन मसोस कर रह जाता है।

खैर इसमें गूगल की गलती नहीं हम भारतीयों की है। पहले अरबी का समर्थन भी नहीं था, 2010 में इसका बग दर्ज किये जाने पर कुछ महीनों में ही उसे कोई 5000 वोट मिले तो अगली रिलीज में अरबी शामिल कर ली गयी। जबकि हिन्दी सम्बन्धी बग 2008 से दर्ज हैं पर वोट सैकड़े से आगे जाते ही नहीं, पर्याप्त वोट न होने से वो प्राथमिकता सूची में नहीं आता। अब बताइये दोष किसका है गूगल का या हमारा? आम फोन, टैबलेट उपयोक्ता को छोड़ भी दें तो नेट पर हजारों हिन्दी पढ़ने-लिखने वाले होने पर भी हम वहाँ जाकर वोट करने का भी जहमत नहीं उठा सकते।

http://code.google.com/p/android/issues/detail?id=12981

अब तक एक इश्यू को अधिकतम 570 के करीब वोट मिले हैं। अगर वोट हजारों में पहुँच जायें तो प्राथमिकता सूची में ऊपर जाने पर गूगल बाबा इस तरफ जरुर ध्यान देंगे।

मेरे विचार से हमें नेट पर सभी माध्यमों (समूह, ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग आदि) का उपयोग करके इस काम के लिये वोट जुटाने चाहिये। अपने अधिक से अधिक मित्रों को इसके लिये वोट करने को कहें।

इस प्रकार के कुछ पुराने इश्यू यहाँ देखें।
http://code.google.com/p/android/issues/detail?id=17011
http://code.google.com/p/android/issues/detail?id=4153
http://code.google.com/p/android/issues/detail?id=1618
http://code.google.com/p/android/issues/detail?id=3029

कृपया सभी बग्स (links) पर एक एक कर जाकर वोट करें। वोट करने के लिये ऊपर बायें कोने में स्टार पर क्लिक करें यह पीला हो जायेगा। कमेन्ट करने से ज्यादा जरूरी है .....स्टार को अधिक से अधिक संख्या में लोगों द्वारा पीला करना।
(साभार-@shrishजी )


सादर
प्रवीन त्रिवेदी, फतेहपुर

Sea TV Network IPO: A small fish in a big pond - Moneylife Personal Finance site and magazine

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1.5.11

अंतर्राष्‍ट्रीय भाषा हिंदी अपने देश में ही बेचारी

अंतर्राष्‍ट्रीय भाषा हिंदी अपने देश में ही बेचारी

हम लोग जब भी किसी अंतर्राष्ट्रीय भाषा की बात करते हैं हमारे जेहन में मात्र एक भाषा आती है अंग्रेजी. इंटरनेशनल यानी इंग्लिश. और हिंदी? वह तो एकदम से देहाती भाषा है. मात्र हिंदी गो-पट्टी की भाषा, जिसे अब तक पूरे भारत देश के लोगों ने भी ना तो समुचित मान्यता दी है और ना ही हृदय से स्वीकार किया है. जब तक मैं भारत से बाहर नहीं गयी थी,  तब मैं भी ऐसा ही मानती थी. पर अब जब अमेरिका से घूम आई हूँ तो मुझे यही एहसास हो रहा है कि हम लोग वास्तव में हिंदी के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं.
मैं जिस ग्रुप के साथ अमेरिका भ्रमण पर गयी थी उसमे कुल दस लोग थे- तीन भारत से, तीन ही पाकिस्तान से, एक अफगानिस्तान, एक श्रीलंका, एक भूटान और एक कजाकिस्तान से. इन में से कजाकिस्तान की गुल्मिरा रैजिकोवा को तो हिंदी बिलकुल ही नहीं आती थी, दूर-दूर तक नहीं. पर शेष सभी लोगों से मेरी बातचीत का एक बड़ा हिस्सा हिंदी में ही होता था. जी हाँ, हिंदी में. बल्कि उससे भी घोर आश्चर्य यह कि इन सब लोगों में सबसे अधिक अंग्रेजी हमारे भारत के ही दो प्रतिनिधि प्रयोग करते थे.
भूटान के एक सांसद थे चोयडा जैमसो, वे हिंदी ना सिर्फ आराम से समझ लेते थे बल्कि थोड़ी-बहुत बोल भी लेते थे. श्रीलंका के पत्रकार थे जो सिंहली भाषी अखबार में काम करते हैं, वे भी हिंदी बोल लेते थे और जो नहीं बोल पाते उसे अपने इशारों और हाथों के जरिये समझा लेते थे. इस तरह जैमसो साहब से तो हिंदी में खास बात नहीं हो पाती थी पर श्रीलंकाई पत्रकार मनोज अबयधीरा ना सिर्फ हिंदी में बात करना पसंद करते थे, बल्कि उन्हें हिंदी फिल्मों और हिंदी गानों का भी भारी शौक था. पता नहीं कब-कब की फिल्मों के गानों के बारे में पूछते रहते और उन फिल्मों के बारे में भी. दीपिका पादुकोने उनकी पसंदीदा हीरोइन हैं,  जिसके बारे में कुछ भी बुरा नहीं सुन सकते थे. अंग्रेजी के प्रति उनके मन में अच्छी भावना नहीं थी और वे इसे गुलामी का प्रतीक मानते थे.
अफगानिस्तान के मोहम्मद अनीस भी हिंदी बहुत तो नहीं जानते थे, पर हिंदी में बात करना उन्हें अच्छा लगता था और काफी प्रयत्न कर के वे हिंदी बोलते दिख जाया करते. पाकिस्तान के तीनों प्रतिनिधि सिविल सर्वेंट थे पर फैसल अहमद, लाल जान जफ़र तथा आरिफ रहीम से बात करते वक्त लगता नहीं था कि वे हमारे देश के नहीं हैं. सब के सब हिंदी (या शायद उर्दू) में पारंगत थे और बड़े मजे से उन लोगों से अपनी ही जुबान में बातें होती थीं. हिन्दुस्तानी प्रदीप कुमार और अनुभा रस्तोगी की अंग्रेजी काफी अच्छी थी और वे बहुधा अंग्रेजी का प्रयोग करते दिख जाया करती थीं.
ये बातें यह साफ़ साबित कर देती हैं कि एक भाषा के रूप में हिंदी ना सिर्फ बहुत समृद्ध है बल्कि इसकी हमारे देश के बाहर भी पकड़ और फैलाव है. यह भी साफ़ हो जाता है कि भले ही हम इस देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा में स्वीकार करने में हिचक रहे हों, पर बाकी एशियाई देशों में इस बात पर लगभग सहमति सी है कि हिंदी हमारे देश की अधिकृत भाषा है और यह भाषाई स्तर पर भारत वर्ष का प्रतिनिधित्व भी करती है. तभी तो लगभग नहीं के बराबर हिंदी जानने वाले भूटान के जैमसो भी यह मानते हैं कि यदि वे किसी भारतीय से बात कर रहे हैं तो इसके लिए हिंदी भाषा उपयुक्त रहेगी और श्रीलंका के मनोज हिंदी में अपने आप को संप्रेषित करते हुए गौरवान्वित महसूस करते हैं.
इसके विपरीत हम लोगों को देखिये जो यदि अंग्रेजी नहीं जानते हैं तो कहीं ना कहीं अपने-आप को कुछ कमजोर और वंचित सा मानते हैं,  जैसे कि हमारा समुचित विकास हुआ ही नहीं हो. यही नीति हमारी सरकारों की भी रहती है. ज्यादातर शासकीय स्थानों पर अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग होता है और हिंदी की घोर अवहेलना होती है. आईआईएम के लिए होने वाले कैट परीक्षा के लिए तो हिंदी भाषा में परीक्षा तक नहीं होती क्योंकि इन लोगों का यह मानना है कि भारत में अच्छा मैनेजर मात्र अंग्रेजी भाषा-भाषी ही हो सकता है.
यह है इस देश में हिंदी की स्थिति. और इसी के साथ जुड़ा हुआ है एक छोटा सा वाकया. मैं जब न्यूयार्क अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से वापस भारत आ रही थी तो हवाई जहाज़ के बारे में अनाउंसमेंट करते समय अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा का भी प्रयोग किया गया था. मुझे यह सुन कर वास्तव में खुशी मिली थी और इस बात का भी एहसास हुआ था कि हिंदी भाषा की मान्यता अमेरिका तक में दी जा रही है. पर अफ़सोस इस बात का कि अमेरिका जाते समय हमारे अपने देश के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मैंने देखा था कि एनाउंसमेंट केवल अंग्रेजी भाषा में ही हो रहा था, मेरी याददाश्त के मुताबिक वहाँ एक बार भी हिंदी भाषा का प्रयोग नहीं किया गया था. तो इसका क्या मतलब हुआ, जिस हिंदी तो अमेरिका महत्व दे रहा है उसे हमारा भारत घास के तीन पात समझ रहा है.
डॉ. नूतन ठाकुर
संपादक
पीपल'स फोरम, लखनऊ

12.1.11

हिन्दी भारत का प्राण है..

जन-जन जब अपनाए हिन्दी
नवजीवन तब पाए हिन्दी।।

अंग्रेजी की छोड़ गुलामी, भारत माता की सन्तान,
अपनी भाषा ही अपनाएं, यही बढ़ाएगी सम्मान।
किंबहुना परिलक्षित है ये,राष्ट्रीय एकता लाए हिन्दी..

अंग्रेजों को मार भगाया, अब अंग्रेजी मार भगाएं,
राष्ट्रदेवता के चरणों में, नितप्रति हिन्दी सुमन चढ़ाएं।
अंग्रेजी वर्चस्व मिटाएं, अब ना ठोकर खाए हिन्दी..

यह कैसी बन गई समस्या, कैसी दुखपूर्ण घड़ी आई,
जिसको हम कहते हैं माता, अपने ही घर मृत पाई।
आओ मां के आंसू पौछें, अब ना अश्रु बहाए हिन्दी..

64 साल हो गए अब तो, हे सरकारी तंत्र चेत जा,
हिन्दी भाषी को महत्व देकर, हे सरकारी मंत्र चेत जा।
सभी काम हिन्दी में हो, हिन्दी दिवस मनाए हिन्दी..

हिन्दी दिवस सभी तो सार्थक, जब हिन्दी अपनाएं हम,
हिन्दी के ही लिए जीयें और हिन्दी हित मर जाएं हम।
नव्वे प्रतिशत हिन्दी भाषी, फिर भी क्यों सरमाये हिन्दी..

हिन्दुस्तान में हिन्दी दिवस, यह हिन्दी का अपमान है,
भारत हिन्दी, हिन्दी भारत, हिन्दी भारत का प्राण है।
हम भारत के प्राण बचाएं, रग-रग में बस जाए हिन्दी..

राजनाथ सिंह जी को साधुवाद

श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में संभाषण करके हिन्दीभाषियों का माथा गर्व से ऊंचा कर दिया है। हमारे नेताओं को इसी तरह हिन्दी में संभाषण करना सीख लेना चाहिए। राजनाथ सिंह जी को साधुवाद। आशा है कि वे आगे भी इस परंपरा को कायम रखेंगे।

आप क्या सोचते हैं इस बारे में?

हिन्दी भाषा के उत्थान में देश का भी उत्थान निहित है। कमाल की बात तो यह है कि हमारे राजनेता इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते हैं। वे अपने चुनाव क्षेत्र में वोट तो अपनी भाषा में मांगते हैं। लेकिन संसद में आकर अंग्रेजी में भौंकते हैं। लानत है ऐसे नेताओं पर। मेरा मानना है कि ऐसे नेताओं को संसद से इस्तीफा देकर अपने चुनाव क्षेत्र में जाकर अंग्रेजी में ही वोट मांगना चाहिए। उन्हें अपनी औकात के बारे में बता चल जाएगा। आप क्या सोचते हैं इस बारे में?

9.1.11

भारतवर्ष के बारे में कुछ रोचक तथ्य

>भारतवर्ष के बारे में कुछ रोचक तथ्य
इतिहास के अनुसार, आज तक भारतवर्ष ने किसी भी अन्य देश पर हमला नहीं किया है।
जब अनेक संस्कृतियों 5000 साल पहले ही घुमंतू वनवासी थी, भारतीय सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
शतरंज के खेल का आविष्कार भारतवर्ष द्वारा ही किया गया है।
बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्‍ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
‘स्‍थान मूल्‍य प्रणाली’ और ‘दशमलव प्रणाली’ का विकास भारत में 100 BC में हुआ था।
विश्‍व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्‍वर मंदिर है। इस भव्‍य मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बनें हैं, इसका निर्माण चोलवंशीय राजा के राज्‍य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 AD और 1009 AD के दौरान) किया गया था।
भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्‍व का छठवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्‍यताओं में से एक है।
सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्‍दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्‍व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्‍तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्‍छे काम लोगों को स्‍वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्‍म के चक्र में डाल देते हैं।
दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्‍थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
भारत में विश्‍व भर से सबसे अधिक संख्‍या में डाक घर स्थित हैं।
विश्‍व का सबसे बड़ा नियोक्‍ता भारतीय रेल है, जिसमें पंद्रह लाख से अधिक व्यक्ति काम करते हैं।
विश्‍व का सबसे पहला विश्‍वविद्यालय 700 BC में तक्षशिला में स्‍थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्‍ययन करते थे। नालंदा विश्‍वविद्यालय चौथी शताब्‍दी में स्‍थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्‍सा शाखा है। शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
भारत 17वीं शताब्‍दी के आरंभ तक ब्रिटिश राज्‍य आने से पूर्व विश्व का सबसे सम्‍पन्‍न देश था। क्रिस्‍टोफर कोलम्‍बस ने भारत की सम्‍पन्‍नता से आकर्षित हो कर ही भारत आने का समुद्री मार्ग खोजना चाहा, लेकिन गलती से भारत की अपेक्षा अमेरिका पहुँच गया।
नौवहन की कला और नौवहन का जन्‍म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्‍कृ‍त शब्‍द नव गति से उत्‍पन्‍न हुआ है। शब्‍द नौ सेना भी संस्‍कृत शब्‍द नोउ से हुआ।
भास्‍कराचार्य ने खगोल शास्‍त्र के कई सौ साल पहले पृथ्‍वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्‍कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्‍वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।(लेकिन श्रेय विदेशी ले गए)
भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा ‘पाई’ का मूल्‍य ज्ञात किया गया था और उन्‍होंने जिस संकल्‍पना को समझाया उसे ही आज हम पाइथागोरस का प्रमेय कहते हैं। उन्‍होंने इसकी खोज छठवीं शताब्‍दी में की, जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी समय पहले की गई थी।( मूल खोजकर्ता का आज कोई नाम भी नहीं जानता, लेकिन सारी दुनिया समझती है कि ये पाईथागोरस की खोज है)
बीज गणित(Algebra), त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था। चतुष्‍पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्‍दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था। ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्‍या 106 थी जबकि हिन्‍दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्‍ट नाम 5000 BC के दौरान किया। आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्‍या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है। (कहीं कोई श्रेय नहीं )
सुश्रुत को शल्‍य चिकित्‍सा (Surgery) का जनक माना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों को लगना, शल्‍य क्रिया द्वारा प्रसव, अस्थिभंग जोड़ना, मूत्राशय की पथरी, प्‍लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्‍क की शल्‍य क्रियाएं आदि की।
निश्‍चेतक(Anesthesia) का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्‍सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जाता है।
भारत में 4 धर्मों का जन्‍म हुआ – हिन्‍दु धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म ओर सिक्‍ख धर्म, जिनका पालन दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा करता है।
भारत में 3,00,000 मस्जिदें हैं जो किसी अन्‍य देश से अधिक हैं, यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी अधिक।
भारत में सबसे पुराना यूरोपियन चर्च और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निर्माण क्रमश: 1503 और 1568 ईस्वी में किया गया था।
ज्‍यू और ईसाई व्‍यक्ति भारत में क्रमश: 200 BC और 52 AD से निवास करते हैं।
विश्‍व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्‍दु मंदिर है, जो कम्‍बोडिया में 11वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था।
तिरुपति शहर में बना विष्‍णु मंदिर 10वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था, यह विश्‍व का सबसे बड़ा धार्मिक गंतव्‍य है। रोम या मक्‍का धामिल स्‍थलों से भी बड़े इस स्‍थान पर प्रतिदिन औसतन 30 हजार श्रद्धालु आते हैं और लगभग 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन चढ़ावा चढता है।
भारत द्वारा श्रीलंका, तिब्‍बत, भूटान, अफगानिस्‍तान और बंगलादेश के 3,00,000 से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षा दी जा रही है, जो धार्मिक और राजनैतिक अभियोजन के फलस्‍वरूप वहां से निकल गए/निकाल दिए गए हैं।
युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यहां 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद हैं।
आज भारत सरकार की अधिकारिक वैबसाईट(http://bharat.gov.in) देखने का मौका मिला तो वहाँ इस प्रकार की एक सूची दिखाई दी, तो सोचा कि आप लोगों के साथ बाँटी जाए । कम से कम इसी बहाने अपने देश के उज्जवल पक्ष से परिचित हो गर्वोंन्वित तो हुआ ही जा सकता है ।