14.8.15

चाचा की फेसबुक में चाची-1

डॉ. भानु प्रताप सिंह
 ‘ए लल्ला, कछू काम कर रएओ का’, चाची ने मोते बड़े प्यार ते सवाल करौ तो मैं चक्कर में परिगौ।
मैंने अपनी नजर मोबाइल की स्क्रीन पर टिकाय रखी। व्हां से नजर हटाए बिना बोलौ- ‘नांय चाची, कुछ खास काम नाएं। मैं तो ऐसेईं मोबाइल देख रौऊं।’
‘अच्छा, एक बात बताओगे सही-सही। झूठ तो नांय बोलोगे।’
चाची कौ सवाल सुनि कैं मोय सबरी छोरिन के चेहरा याद आय गए। मैं मन ई मन में सोचिबै लगौ, चाचीये कैसै पतौ परि गई। जरूर भोलू ने कई होयगी। अबई तो प्रेमकहानी ठीक तै सुरू नाय है पाई और सबकूं खबर लगि गई। अब का होयगौ। चाची ने अगर पापा कूं बताय दई तो भौत मार परैगी। मैं मार परिबे की सोच कैं ई  कांपिबै लगि गौ। लगतौए  चाची ने मेरी हालत देख लई हती, तबई तो बोलीं- ‘का भयौ लल्ला, इत्ते परेसान से चौं है गए।’
मैंने अपनी परेसानी छिपाई और बोलौ- ‘नांय चाची, ऐसी कोई बात नाएं। तुम बताओ, का पूंछ रईं।’
‘लल्ला, मैं पूछि रई कि जे फेसबुक का हौबै?’ चाची को सवाल सुनिकैं मैं फिर चौंक गौ।
‘अरे, चाची तुम्हें का कन्नौ या फेसबुक ते।’ मैंने चाची को टारिबे की नीयत से बात कही।
‘नांय लल्ला, मोय बताओ और सच्ची-सच्ची बताई। तुम्हें विद्यारानी की कसम है।’ चाची ने अपनौ हक जमात भये अपनी बात कही।
‘चाची, फेसबुक कछू नांय। जे तो छोरा-छोरिन के चौचले हैं। जिन पै फालतू टैम होतुए न, वो छोरा -छोरी आपस में बात कत्त रैतएं और उनके टैम कटि जातुए।’ मैंने चाची कूं समझाएबे के अंदाज में पूरी बात बताई। फिर मैंने पूछी- ‘चाची तुम्हें का कन्नौए फेसबुक ते। फेसबुक के चक्कर में तुम इतनी परेसान चौंऔ।’
मेरी बात सुनिकैं चाची की आंखिन में पानी आय गौ। अपनी नजरें नीचीं करकैं बोलीं- ‘लल्ला, बात जे ए कि तुम्हारे चाचा रात में लैपटॉप पर बिजी रैवें। एक दिन मैंने पूछी तो कहन लगे कि आफिस कौ काम है। कल्लि मैं तुम्हारे चाचा कूं दूध दैबे गई तो मेरी नजर लैपटाप पै परि गई। बा पै फैसबुक लिखी आय रई। तमाम छोरिन के फोटू दिखाई दए। फोटुन में छोरी बेसरमन की तरह मौं फारि के हँस रईं। मोय तो कछु गड़बड़ लगि रई है।’
चाची की बात सुनि कैं मैं हँसे बिना नांय रै सकौ। मैंने कई- ‘चाची, या मैं परेसान है बे की कोई बात नांय। फेसबुक पै तो मैं ऊ हतूं।’
‘तुम्हाई बात और है लल्ला। तुम्हारे चाचा की बात और है। आजकल की छोरिन की नैकई भरोसौ नांय। जगह-जगह मौंह मात्ति फित्तैं। तुम्हारे चाचा ऊ कछु कम नांय। कछु करौ लल्ला। ’
चाची की बात सुनिकैं मैं पसीज गौ। मैंने चाची की ‘अनामिका’ के नाम ते फेसबुक आईडी बनाय दई है। चाचा ने फ्रेंड रुकेस्ट स्वीकार लई है। अब चाची, चाचा की फेसबुक पर दोऊ दीदा लगाय कें देखती रैबें।

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