अपने बारे में क्या लिखना...संपादक के नाम पत्र लिखते-लिखते पत्रकार बन गया। धुन का पक्का हूं.. जो ठान लिया सो ठान लिया.. पिता के संस्कार हैं कि दूसरों को कष्ट मत पहुंचाओ..शालीन रहो.. बड़ों का आदर करो..जितनी चादर है उतने ही पैर फैलाओ...। 1989-90 से पत्रकार। 2500 से अधिक बाईलाइन प्रकाशित। आगरा नगर निगम पर 40 दिन तक लगातार बाईलाइन जो एक रिकार्ड। दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका में विभिन्न पदों पर कार्य। 2006 में हिन्दुस्तान, आगरा को और 2008 में हिन्दुस्तान का अलीगढ़ संस्करण लान्च कराया। आगरा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को बीट के रूप में विकसित करने का श्रेय। हिन्दी दैनिक द सी एक्सप्रेस, आगरा का सम्पादक। रहा। अप्रैल, 2008 में डॉ. बीआरए विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा प्रबंधन क्षेत्र में विद्या वाचस्पति (पीएचडी) से सम्मानित। प्रबंधन क्षेत्र में हिन्दी माध्यम से लिखा गया पहला शोध प्रबंध। पुस्तक- जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र थी फतेहपुरसीकरी, संप्रति पत्रिका (राजस्थान पत्रिका) समूह के साथ। कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन।
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