15.3.09

ये भी हिन्दी बोलते हैं



प्रत्येक राष्ट्र की एक राष्ट्र भाषा होती है। उस भाषा पर देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व होता है। एक विश्व भाषा होती है। प्राचीन काल में संस्कृत विश्व की भाषा थी। अब वह स्थान अंग्रेजी लेती जा रही है। किन्तु विश्व का प्रत्येक नागरिक अपने राष्ट्र की भाषा का सम्मान व उसी का उपयोग बोलने एवं लिखने में करता है। विदेशों से आए राष्ट्राध्यक्ष, चाहे वे ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, रूस या खाड़ी देश कहीं के भी हों, अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उसी में बोलते हैं।
भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है। अतः हम संकल्प करें कि हिन्दी में ही बातचीत करेंगें। १८५७ के बाद देश की आजादी के मार्गदर्शक लाल, बाल, पाल हिन्दी में ही बोलते थे। महात्मा गांधी, पं० जवाहर लाल नेहरू, पं० मदन मोहन मालवीय, मौलाना आजाद, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, श्री लाल बहादुर शास्त्री, डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, डॉ० हेडगेवार, डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी, श्री माधव सदाशिव गोलवलकर, श्रीमती इंदिरा गांधी, श्री चंद्रशेखर सिंह आदि सभी भारत के मान्य जन हिन्दी में ही प्रवचन करते थे। सम्पूर्ण देश सहर्ष स्वीकार करता था।
नवनिर्वाचित महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल अच्छी अंग्रेजी जानने के उपरान्त भी अपने भाषण हिन्दी में ही करतीं हैं। निवर्तमान उपराष्ट्रपति श्री भैंरों सिंह शेखावत जी हिन्दी का ही प्रयोग करते हैं। यह ही नहीं, उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार श्रीमती नजमा हेपतुल्ला व श्री अंसारी भी सामान्य रूप से हिन्दी का ही प्रयोग करते हैं। कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने भारत में आकर हिन्दी सीखी और अब हिन्दी में ही भाषण करतीं हैं। श्री राहुल गांधी भी अच्छी हिन्दी बोलते हैं। संघ के सरसंघचालक श्री सुदर्शन जी कई भाषाओं के ग्याता होते हुए भी हिन्दी में ही भाषण करते हैं। भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, राजद अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव, सपा अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव, बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती एवं श्रीमती सुषमा स्वराज भी अंग्रेजी जानते हुए भी राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही बोलते हैं। यहाँ तक कि रसायन मन्त्री श्री रामविलास पासवान ने औषधियों के डिब्बों पर हिन्दी भाषा में लिखने का आदेश कर दिया है तथा स्वयं भी हिन्दी ही बोलते हैं।


मोहन राय
३४, गोविन्द नगर शाहगंज, आगरा

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