28.8.17

विदेशी भाषा बनाम राष्ट्रभाषा - क्या हिंदी का राष्ट्र भाषा होना एक दिखावा है?

डॉमधुसूदन
***हिन्दी मध्यम से उच्च शिक्षा का ऐतिहासिक उदाहर
***
जनभाषा ही आर्थिक उन्नति का रहस्य।
***
देश के १३१ अरब रुपए (प्रति वर्षबच सकते हैं।
Thoughts on “हिन्दी शिक्षा माध्यम का आर्थिक लाभ (एक)”
(एक)  ऐतिहासिक घटा हुआ उदाहरणएक  घटा हुआ ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ।  चौधरी मुख्तार सिंह एक देशभक्त हिन्दीसेवी शिक्षाविद थे।१९४६ में वायसराय कौंसिल के सदस्य चौधरी मुख्तार सिंह ने जापान और जर्मनी की यात्रा  की थी;  और यह अनुभवकिया थाकि यदि भारत को कम (न्यूनतमसमय में आर्थिक दृष्टि से उन्नत होना है तो उसेजन भाषा मेंजनवैज्ञानिक शिक्षित करने  होंगे उन्हों ने मेरठ के पास एक छोटे से देहात में ”विज्ञान कला भवन” नामक संस्था की स्थापना की। हिन्दी मिड़िल पासछात्रों को उसमें प्रवेश दिया। और हिन्दी के माध्यम से मात्र पांच वर्षों में उन्हें एम एस सी के कोर्स पूरे कराकर ”विज्ञानविशारद” की उपाधि से विभूषित किया। इस प्रकार केप्रयोग से वे देश के शासन को दिखा देना चाहते थेकि जापानकी भाँति भारत का हर घर ”लघु उद्योग केन्द्र” हो सकता है।दुर्भाग्यवश दो स्नातक टोलियों के निकलने के बाद  (१९५३-१९५४ही चौधरी जी की मृत्यु हो गईऔर प्रदेश सरकारने ”विज्ञान कलाभवन” को इंटर कॉलेज में परिवर्तित कर  दिया। वहां तैयार किए गए ग्रन्थों के प्रति भी शासन कोकोई मोह  नहीं था।
(दोजनभाषा हीउन्नति का रहस्य:पर इस प्रयोग ने यह भी सिद्ध तो किया हीकि जनभाषा ही आर्थिक उन्नति का रहस्य है। जनविज्ञानविकास कीआत्मा है।
(तीनमिडिल उत्तीर्ण छात्र मात्र  वर्ष में  M Sc: हिंदी मिडिल उत्तीर्ण छात्रों को प्रवेश देकर मात्र  वर्ष की शिक्षा के बाद M Sc की उपाधि प्राप्त कराई गई.अब अंग्रेज़ी द्वारा उस समय११ वर्ष के बाद S S C +  वर्ष पर  B Sc + वर्ष M Sc= १७ वर्ष की कुल पढाई होतीथी। तोहिंदी माध्यम से  वर्ष का लाभ हुआ।
(चारचिन्तन क्षमता वृद्धिसाथ साथ  माध्यम हिन्दी होने के कारणवैचारिक क्षमता का बढनास्वतंत्र विचार की शक्ति बढनाचिंतन करने काअभ्यास इत्यादि लाभ भी हुए ही होंगे। अंग्रेज़ी की  रट्टामार प्रणाली से पैदा होतेगुलाम या तोताराम तो नहीं बने।
(पाँचअंग्रेज़ी माध्यम की  भ्रान्तियाँसबसे हानिकारक भ्रान्ति छात्र को गलत दिशामें भटकाना है।
(
छात्र अंग्रेज़ी को ही बुद्धिमानीं का लक्षण मानता है।
(
जिस आयु में उसका चिन्तन या विचार का विकास होना होता हैवह गलत दिशामें , अंग्रेज़ी को ही सीखने में लगादेता है।
(
बहुतेरे छात्र यही भ्रम जीवन भर पालते हैं। फलस्वरूप  हम स्वतंत्र चिन्तक या संशोधक के बदले अंग्रेज़ी के गुलामअफसर पैदा करते हैं।
(छःराष्ट्र की हानि:जिस प्रजा को हम १२ वर्षों में M Sc करवाकर सुशिक्षित करवा लेतेउसे अंग्रेज़ी माध्यम से १७ वर्ष लगते हैं। प्रतिछात्र हम  वर्ष व्यर्थ करते हैं। उतने ही वर्ष वह छात्र उत्पादन की प्रक्रिया में सम्मिलित होकरस्वयं की और राष्ट्र की प्रगति में सहयोग कर सकता थाउससे हम वंचित रहते हैं।पाँच वर्ष अधिक धनार्जन औरउत्पादन चक्र में सम्मिलित हो सकता था।
(सातअंग्रेज़ी या अन्य विशेष भाषा चाहो तो?अब जिन्हें अंग्रेज़ी की ही पढायी करनी हैउन्हें आगे और  वर्ष मात्र अंग्रेज़ी ही पढाइए। जैसे पीएचडीके लिए (१२क्रेडिट पाठ्य पुस्तकों के तुल्य जर्मनफ़्रांसीसीरूसी इत्यादिकिसी भी एक भाषा का अध्ययन करना पडता है।इसी के समान केवल अंग्रेज़ी  विषयों जितनाप्रति वर्ष अंग्रेज़ी पढाकर शिक्षित करें। दो वर्षों में इच्छित भाषा कास्वामित्व प्राप्त कर लेंगे।
(आठअन्य भाषाएँ:ध्यान रहे विविध भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है।कभी रूसी आगे थीकभी जर्मन थीकभी अंग्रेज़ी आगे होती है।हमें पर्याप्त मात्रा में चीनीअरबीरूसीफ्रान्सीसीजर्मनहिब्रुजापानीइत्यादि भाषाओं के भी जानकार चाहिए।आज अंग्रेज़ी के कुछ अधिक चाहिएपर सारा सट्टा अंग्रेज़ी पर ही लगाना मूर्खता होगी।हमारी अपनी संस्कृतपालितमिलअर्धमागधी इत्यादि भाषाओं के भी विद्वान चाहिए।सीमापर चीनी गति विधियों को जानने के लिए चीनी के जानकार काफी मात्रामें चाहिए।
(नौआर्थिक आँकडों का गणितअभी आर्थिक आँकडों का गणित सामने रखता हूँ।जन भाषा के माध्यम से वही ज्ञान पाने मेंजो छात्र अंग्रेज़ी द्वारा पाता हैछात्र के कमसे कम  वर्ष बचते हैं।देशके I N Rupees 287.5 billion (US$5.23 billion) बचते है। —२०११ के आँकडों के अनुसार।देश के २८७. अबज रुपए बचते हैं। एक अबज =१०० करोड होते हैं।
{
ये आँकडे कपिल सिब्बल जी के एक विवरण से लिए गए हैं।}
(दससमर्पित और आदर्श शिक्षकशिक्षक समर्पित और आदर्श होने चाहिए। भ्रष्ट शिक्षक नहीं चलेंगे।क्यों किशिक्षक राष्ट्र के प्रगति चक्र मेंप्रबलातिप्रबल कडी है। आरक्षित या अरक्षित जो भी होपर ज्ञानी और प्रतिबद्ध शिक्षकडॉ. मधुसूदन January 30, 2015 जन-जागरण, महत्वपूर्ण लेख http://www.pravakta.com/hindi-education-medium-economic-benefits-a

27.8.17

विदेशी भाषा बनाम राष्ट्रभाषा - क्या हिंदी का राष्ट्र भाषा होना एक दिखावा है?

डॉमधुसूदन
***हिन्दी मध्यम से उच्च शिक्षा का ऐतिहासिक उदाहर
***
जनभाषा ही आर्थिक उन्नति का रहस्य।
***
देश के १३१ अरब रुपए (प्रति वर्षबच सकते हैं।
Thoughts on “हिन्दी शिक्षा माध्यम का आर्थिक लाभ (एक)”
(एक)  ऐतिहासिक घटा हुआ उदाहरणएक  घटा हुआ ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ।  चौधरी मुख्तार सिंह एक देशभक्त हिन्दीसेवी शिक्षाविद थे।१९४६ में वायसराय कौंसिल के सदस्य चौधरी मुख्तार सिंह ने जापान और जर्मनी की यात्रा  की थी;  और यह अनुभवकिया थाकि यदि भारत को कम (न्यूनतमसमय में आर्थिक दृष्टि से उन्नत होना है तो उसेजन भाषा मेंजनवैज्ञानिक शिक्षित करने  होंगे उन्हों ने मेरठ के पास एक छोटे से देहात में ”विज्ञान कला भवन” नामक संस्था की स्थापना की। हिन्दी मिड़िल पासछात्रों को उसमें प्रवेश दिया। और हिन्दी के माध्यम से मात्र पांच वर्षों में उन्हें एम एस सी के कोर्स पूरे कराकर ”विज्ञानविशारद” की उपाधि से विभूषित किया। इस प्रकार केप्रयोग से वे देश के शासन को दिखा देना चाहते थेकि जापानकी भाँति भारत का हर घर ”लघु उद्योग केन्द्र” हो सकता है।दुर्भाग्यवश दो स्नातक टोलियों के निकलने के बाद  (१९५३-१९५४ही चौधरी जी की मृत्यु हो गईऔर प्रदेश सरकारने ”विज्ञान कलाभवन” को इंटर कॉलेज में परिवर्तित कर  दिया। वहां तैयार किए गए ग्रन्थों के प्रति भी शासन कोकोई मोह  नहीं था।
(दोजनभाषा हीउन्नति का रहस्य:पर इस प्रयोग ने यह भी सिद्ध तो किया हीकि जनभाषा ही आर्थिक उन्नति का रहस्य है। जनविज्ञानविकास कीआत्मा है।
(तीनमिडिल उत्तीर्ण छात्र मात्र  वर्ष में  M Sc: हिंदी मिडिल उत्तीर्ण छात्रों को प्रवेश देकर मात्र  वर्ष की शिक्षा के बाद M Sc की उपाधि प्राप्त कराई गई.अब अंग्रेज़ी द्वारा उस समय११ वर्ष के बाद S S C +  वर्ष पर  B Sc + वर्ष M Sc= १७ वर्ष की कुल पढाई होतीथी। तोहिंदी माध्यम से  वर्ष का लाभ हुआ।
(चारचिन्तन क्षमता वृद्धिसाथ साथ  माध्यम हिन्दी होने के कारणवैचारिक क्षमता का बढनास्वतंत्र विचार की शक्ति बढनाचिंतन करने काअभ्यास इत्यादि लाभ भी हुए ही होंगे। अंग्रेज़ी की  रट्टामार प्रणाली से पैदा होतेगुलाम या तोताराम तो नहीं बने।
(पाँचअंग्रेज़ी माध्यम की  भ्रान्तियाँसबसे हानिकारक भ्रान्ति छात्र को गलत दिशामें भटकाना है।
(
छात्र अंग्रेज़ी को ही बुद्धिमानीं का लक्षण मानता है।
(
जिस आयु में उसका चिन्तन या विचार का विकास होना होता हैवह गलत दिशामें , अंग्रेज़ी को ही सीखने में लगादेता है।
(
बहुतेरे छात्र यही भ्रम जीवन भर पालते हैं। फलस्वरूप  हम स्वतंत्र चिन्तक या संशोधक के बदले अंग्रेज़ी के गुलामअफसर पैदा करते हैं।
(छःराष्ट्र की हानि:जिस प्रजा को हम १२ वर्षों में M Sc करवाकर सुशिक्षित करवा लेतेउसे अंग्रेज़ी माध्यम से १७ वर्ष लगते हैं। प्रतिछात्र हम  वर्ष व्यर्थ करते हैं। उतने ही वर्ष वह छात्र उत्पादन की प्रक्रिया में सम्मिलित होकरस्वयं की और राष्ट्र की प्रगति में सहयोग कर सकता थाउससे हम वंचित रहते हैं।पाँच वर्ष अधिक धनार्जन औरउत्पादन चक्र में सम्मिलित हो सकता था।
(सातअंग्रेज़ी या अन्य विशेष भाषा चाहो तो?अब जिन्हें अंग्रेज़ी की ही पढायी करनी हैउन्हें आगे और  वर्ष मात्र अंग्रेज़ी ही पढाइए। जैसे पीएचडीके लिए (१२क्रेडिट पाठ्य पुस्तकों के तुल्य जर्मनफ़्रांसीसीरूसी इत्यादिकिसी भी एक भाषा का अध्ययन करना पडता है।इसी के समान केवल अंग्रेज़ी  विषयों जितनाप्रति वर्ष अंग्रेज़ी पढाकर शिक्षित करें। दो वर्षों में इच्छित भाषा कास्वामित्व प्राप्त कर लेंगे।
(आठअन्य भाषाएँ:ध्यान रहे विविध भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है।कभी रूसी आगे थीकभी जर्मन थीकभी अंग्रेज़ी आगे होती है।हमें पर्याप्त मात्रा में चीनीअरबीरूसीफ्रान्सीसीजर्मनहिब्रुजापानीइत्यादि भाषाओं के भी जानकार चाहिए।आज अंग्रेज़ी के कुछ अधिक चाहिएपर सारा सट्टा अंग्रेज़ी पर ही लगाना मूर्खता होगी।हमारी अपनी संस्कृतपालितमिलअर्धमागधी इत्यादि भाषाओं के भी विद्वान चाहिए।सीमापर चीनी गति विधियों को जानने के लिए चीनी के जानकार काफी मात्रामें चाहिए।
(नौआर्थिक आँकडों का गणितअभी आर्थिक आँकडों का गणित सामने रखता हूँ।जन भाषा के माध्यम से वही ज्ञान पाने मेंजो छात्र अंग्रेज़ी द्वारा पाता हैछात्र के कमसे कम  वर्ष बचते हैं।देशके I N Rupees 287.5 billion (US$5.23 billion) बचते है। —२०११ के आँकडों के अनुसार।देश के २८७. अबज रुपए बचते हैं। एक अबज =१०० करोड होते हैं।
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ये आँकडे कपिल सिब्बल जी के एक विवरण से लिए गए हैं।}
(दससमर्पित और आदर्श शिक्षकशिक्षक समर्पित और आदर्श होने चाहिए। भ्रष्ट शिक्षक नहीं चलेंगे।क्यों किशिक्षक राष्ट्र के प्रगति चक्र मेंप्रबलातिप्रबल कडी है। आरक्षित या अरक्षित जो भी होपर ज्ञानी और प्रतिबद्ध
(जैसा मेरे मेल पर मिला)http://www.pravakta.com/hindi-education-medium-economic-benefits-a